आज़ाद

 कितने आज़ाद हैं हम?

आज़ादी की कोई सीमा होती है क्या?


मैंने सुना कि आज़ादी की कीमत होती है,

फिर क्यों आज़ादी जन्मसिद्ध अधिकार है?


देश जब आज़ाद हुआ,

जन जन तब आज़ाद हुआ,

गणतंत्र तो आज़ाद हुआ,

फिर भी बेड़ियों में जकड़ा समाज रहा।


बेड़ियां तमाम हैं,

राजनैतिक, सामाजिक, मानसिक,

पैसों पर बिकना आम है।


मेरी अम्मा की इनसिक्योरिटीज़ ने जकड़ा मेरा मन है,

मेरा सपना ही अमन है।

मेरे भैय्या इतिहास की कहानियों से विचलित हैं,

मेरा जीवन उसी कल में निहित है।

मेरे पिता आज़ाद न कभी थे और न हैं,

लेकिन उनकी आज़ाद होने की कामना आज़ाद है।


फिर कितने आज़ाद हैं हम?

आज़ादी की कोई सीमा होती है क्या?

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